"शैतानी प्रथाओं के विरुद्ध नारी चेतना"
निबंध: म्लेच्छ शैतानी प्रथाएं और महिलाओं की बलि मानव सभ्यता के इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं, जहाँ अधर्म और शैतानी प्रवृत्तियों ने समाज को अंधकार में धकेलने का प्रयास किया। इनमें से एक अत्यंत अमानवीय और गुप्त प्रथा महिलाओं को बलि के रूप में इस्तेमाल करना है। यह प्रथा नरकासुर, रावण जैसे पौराणिक पात्रों से लेकर मुगल और तालिबान जैसी आधुनिक विचारधाराओं तक फैली हुई है। इनका उद्देश्य केवल समाज में भय और अस्थिरता पैदा करना नहीं है, बल्कि पैशाचिक और शैतानी शक्तियों की आराधना करते हुए निर्दोष महिलाओं की बलि चढ़ाकर अपनी ताकत बढ़ाना है। शैतानी प्रवृत्तियों का इतिहास नरकासुर और रावण जैसे पात्र महिलाओं की शक्ति को नष्ट करने के लिए न केवल उन्हें बंदी बनाते थे, बल्कि समाज में उनके अस्तित्व को मिटाने का भी प्रयास करते थे। यह राक्षसी प्रवृत्ति शैतानी शक्तियों से प्रेरित थी। नरकासुर ने 16,000 महिलाओं को केवल इसलिए बंदी बनाया ताकि उनकी आत्मा को कुचलकर शैतानी ताकतों को संतुष्ट किया जा सके। इसी तरह, रावण ने सीता का अपहरण कर यह दिखाने का प्रयास किया कि महिलाओं को केवल अपने स्वार्थ और महत्...