"आइदেউ सन्दिकै: असम की अमर कन्या"





আইদেউ সন্দিকৈ: অসমীয়া চলচ্চিত্র की पहली बहादुर नायिका


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जन्म एवं प्रारंभिक जीवन:
आईदেউ संदिकৈ का जन्म 27 जून 1920 को असम के गोलाघाट जिले के पानी-दिहिंगिया गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम नीलाम्बर संदिकৈ एवं माता का नाम लक्ष्मी था । बचपन में उन्हें औपचारिक शिक्षा नहीं मिली थी, लेकिन उनमें आत्मविश्वास और साहस की गहरी भावना थी ।


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चलचित्रमय सफर:
असमिया सिनेमा की प्रथम बोलता फिल्म “जয়मতী” (1935) में उन्होंने मुख्य भूमिका निभाकर इतिहास रचा। यह सच में एक साहसी कदम था, क्योंकि उस समय महिला का फिल्म में अभिनय करना समाज द्वारा पाप माना जाता था । उन्होंने “बङ्हरदेउ” कहकर सह-अभिनेता को संबोधित किया था, जिसे समाज ने गंभीर अपराध माना । इस कार्य के कारण उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा—अब उनके परिवार को अलग घर देना पड़ा, पानी के स्रोत अलग रखने पड़े, और विवाह के प्रस्ताव तक नहीं मिला ।


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जीवन का संघर्ष एवं सम्मान:
अपनी जीवन यात्रा के अंतर्गत कई वर्षों तक असमानता और अवहेलना झेलने के बाद, उन्होंने ōutstanding pioneering contributions के लिए बाद में सम्मान प्राप्त किया। असम सरकार ने उन्हें पेंशन दी, उनके सम्मान में कई संगठनों द्वारा पुरस्कार प्रदान किए गए—जैसे कि 1985 में “सोनेरी जयन्ती” के दौरान सम्मानित किया जाना, तथा 1992–1997 में विभिन्न कलाप्रबर्धन संस्थानों द्वारा आदर प्रदान किया जाना ।


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निधन एवं विरासत:
आईदেউ संदिकৈ का निधन 17 दिसंबर 2002 को उनके गाँव में हुआ । सामाजिक प्रतिबंधों, संघर्षों और तिरस्कार के बावजूद, उन्होंने नारी स्वतंत्रता के नए द्वार खोले—एक ऐसी विरासत जो आज भी प्रेरणा देती है।


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समापन:
आईदেউ संदिकৈ ने न केवल असमिया सिनेमा को दीवानापन पैदा किया, बल्कि अपनी हिम्मत, दृढ़ता और आदर्शों से एक नारि संघर्ष का प्रतीक बन गईं। उनका जीवन हमें याद दिलाता है कि यदि एक नारी आत्मा से दृढ़ हो, तो समाज की तमाम बंदिशें टूट सकतीं हैं।


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