"माता तपरति: मातृसत्तात्मक समाज की शक्ति और प्रेरणा"




माता तपरति: मातृसत्तात्मक समाज की एक अद्भुत कहानी

भारतीय संस्कृति और इतिहास में माता तपरति का स्थान विशेष है। उनका विवाह मतंग ऋषि और उनके 14,63,860 भाइयों के साथ हुआ, जो मातृसत्तात्मक समाज की बहुपति विवाह व्यवस्था का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह विवाह केवल व्यक्तिगत प्रेम की कहानी नहीं, बल्कि एक सामाजिक संरचना की परिकल्पना भी है, जिसमें स्त्रियों का प्रमुख स्थान होता है।

माता तपरति का साम्राज्य तपलोक तक फैला हुआ था, जो इस बात का प्रमाण है कि उनके प्रभाव और शक्ति कितनी विशाल थी। जब वे अपनी साम्राज्य की यात्रा करती थीं, तो उनके आगे कई ऋषि-मुनि भी झुकते थे। यह दर्शाता है कि उनका ज्ञान और सामर्थ्य इतना महान था कि उन्होंने अपने समय के विद्वानों को भी अपने सामने नतमस्तक कर दिया।

मातृसत्तात्मक समाज में, जहाँ महिलाओं को अधिकार और सम्मान दिया जाता था, माता तपरति एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। उनके विवाह से यह सिद्ध होता है कि स्त्रियों की शक्ति और सामर्थ्य को न केवल स्वीकार किया जाता था, बल्कि उसे प्रोत्साहित भी किया जाता था। ऐसे समाज में महिलाएँ अपने निर्णय स्वयं लेने में स्वतंत्र होती थीं, और उनका स्थान केवल गृहिणी तक सीमित नहीं था, बल्कि वे राजनीति, धर्म और समाज में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकती थीं।

माता तपरति का जीवन हमें यह सिखाता है कि जब महिलाएँ सशक्त होती हैं, तो वे न केवल अपने परिवार का, बल्कि समाज का भी उत्थान करती हैं। उनका साम्राज्य और ऋषियों का सम्मान उनके नेतृत्व कौशल और बुद्धिमत्ता को दर्शाता है। उनकी कहानी हमें प्रेरित करती है कि हमें समाज में महिलाओं के स्थान को सशक्त बनाना चाहिए और उनके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।

अतः, माता तपरति का जीवन न केवल इतिहास में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि एक सशक्त महिला समाज के उत्थान में कितना बड़ा योगदान दे सकती है। उनके जीवन और उनके कार्य हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, और हमें उनकी विरासत को संजोते हुए आगे बढ़ना चाहिए।


Popular posts from this blog

इर्द गिर्द घूमती है जिन्नात

मानस समुद्र मंथन

युद्धं देहि रुद्राणी रौद्रमुखी रुद्रायै नमः ॐ 🙏