मानस समुद्र मंथन




वेश्याओं से कुछ कलाएं सीखना चाहिए हमें,, रिश्ते सभी से निभाओ,, परन्तु अपना पराया फर्क न रखो,, जमाने कि फर्क रखे बिना अपनी सौंदर्य और हौसले को बरकरार रखने कि कला सीखों।। अपनी ही दुनिया में व्यस्त रहो,, परन्तु दुसरे अगर कदम भी रखें तो वह कैसा भी हो,, उससे भी फायदा निकाल लो,, और उसकी कमजोरी और ताकत का भी पता लगाने कि कला सीखों।। स्मरण रखना पहुंचे हुए संन्यासी का असल इम्तिहान भी कोई न कोई वेश्या ही लेती है।। 

वेश्याओं में भी भी कामयाब वहीं होते हैं,, जिन्होंने कामवासना, इर्ष्या पर‌ विजय प्राप्त कर लिया है।। वरना अपनी कामवासना कि सोचे तो दुसरो का कैसे मिटाएंगी,, इर्ष्या में फंसेगी तो धन का लक्ष्य पुरा कैसे कर पाएंगी।। 

मुलाधार चक्र और स्वाधिष्ठान चक्र तक तो वह पहुंची हुई है।। 

वेश्याओं का जीवन कठोर है,, जिन्होंने मर्जी से वेश्या न बनी,, ।। परन्तु इनका कलेजा बाकी स्त्रियों से मजबूत भी है।। यह जानते हुए भी कि एक हाथ से ताली नहीं बजती ,, फिर भी वे लोग लड़ती है।। फिर भी वे लोग हार नहीं मानती है।। 

हा एक बात सच है,, जो अपने पति को दुसरी स्त्री से पति के प्यार न पाकर भी पति पर अधिकार के लिए लड़ती है,, उनका संघर्ष लगभग वेश्याओं जैसी ही होती है।। पति के प्यार न पाकर भी समाज के प्रति भय के लिए जो पतिव्रता बनी रहती है,, उसमें और एक रखैल के बीच कोई अंतर नहीं है।।  

घर में बैठी हुई उस राजदुलारी को भी कमजोर न समझना,, क्योंकि शैलपुत्री ही क्रोधित होने पर काली माता का रुप ले लेती है।। 

अपनी दांत को इतना मजबूत रखना है कि जब हाथ में कोई शस्त्र न हो,, तब काट लिया जाएं,, जब चाकू न हो तो चबाकर खा लिया जाएं।। 

कोई तुम्हें छोड़ जाएं,, अफसोस कभी न करना,, बस खूश रहो,, जिसका औकात नहीं था तुमको संभालने कि ,, वह चला गया है।।

तुम्हारी लड़ाई में तुमसे अधिक शक्तिशाली कोई भी नहीं है।। चाहे वह कितना भी बड़ा दावा क्यों न करें या कितना भी बड़ी बड़ी तर्क क्यों न दें,, उससे कई गुना ज्यादा महत्वपूर्ण तुम्हारी लड़ाई है।। 

अधिक लोगों कि सलाह अक्सर हमें भ्रम में डाल देते हैं।। परन्तु स्वयं कि जिद्द ही है जो हमें हमारी इरादों को मजबूत करने में मदद करती है।। 

वेश्याओं कि औलादें जब सामने आएं न तो मां बहनों कि गालियां सुनाकर भी मजा आता है।। 



सीरियल - सिरेल
मोर या मयुर - मोईरा


टेबलेट और ट्युबलाईट में फर्क इतना है कि
एक शरीर कि कमजोरी भगाता है
दुसरा घर की अंधेरे को भगाता है।।

एहिमते - इस प्रकार से

बुरे दिनों में व्यक्ति दुनिया कि यह दो सच जान पाता है कि 
पहला कि तुम कमजोर नहीं हो,, बल्कि तुम्हारे खिलाफ जो है,, उसने तुम्हारी अंदर कि ताकत को तुमसे छुपाकर तुमको अंधेरे में रखा है।।
दुसरा कि जो ग़लती तुम्हारी है ही नहीं,, उसका भी सजा तुम भुगत रहे हो।। जबकि तुम्हारी बेगुनाही का एहसास तक तुमको नहीं है।।

जिसको तुम चाहते हो,, भले ही वह प्यार एकतरफा हो ,, परन्तु उस प्यार का जुनुन दुसरे रिश्ते के साथ कभी तुलना नहीं होती ।। जो तुमको चाहते हैं,, उसके साथ तुम समझौता तो कर सकते हो,, लेकिन तुम उससे प्यार नहीं कर सकते।। क्योंकि वह भी तुम्हें इसलिए चाहता है कि तुम उसके लिए एक चुनौती जैसा हो।। 

किसी और के लिए तुम खुद चुनौती बन जाओगे तो बर्बाद हो जाओगे,, अगर तुमने खुद किसी को चुनौती बना लिया है तो तुम संवर जाओगे।। निखर जाओगे।।

बस एक ही बात बताना भुल गई कि 
जब ससुराल वाले बीच से पच्चीस साल वाली‌ लड़की के अंदर पच्चास साल वाली‌ समझदारी कि मांग करें तो सास और ननद के कान के नीचे दो थप्पड़ लगा दो और बोलो कि 
"अगर इतनी समझदार होती न तेरे घर में बहू बनकर नहीं आती,, बल्कि पार्लियामेंट में प्रधानमंत्री बनकर जाती।।"




















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