"एकलव्य की प्रतिज्ञा: ऑपरेशन साड़ी का संग्राम"






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नाटक का शीर्षक:

"ऑपरेशन साड़ी: निषाद रेजिमेंट का महायुद्ध"


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मुख्य पात्र:

कैप्टन वेदव्यास – निषाद रेजिमेंट के अनुभवी और आदर्शवादी कमांडर

एकलव्य – आधुनिक कमांडो, तकनीक और धनुर्विद्या का माहिर

बिरसा मुंडा – गुप्तचर और क्रांतिकारी रणनीतिकार

फुलन देवी – महिला कमांडो दस्ते की नेतृत्वकर्ता (पृष्ठभूमि में)

दलाई थुप्तेन – तिब्बती संघर्ष का युवा प्रतीक

दुश्मन अधिकारी – तिब्बत को कब्जे में रखने वाला शोषक सेनापति

कथावाचक, सैनिकगण, झंडावाहक



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दृश्य 1 – ऑपरेशन सिंदूर के बाद निषाद रेजिमेंट का मुख्यालय

(एकलव्य और बिरसा, रणभूमि से लौटते हैं। कैमरों और रोबोटिक ड्रोन स्क्रीन पर रिपोर्ट दिखा रहे हैं।)

कैप्टन वेदव्यास (गंभीर स्वर में):
वीरों, ऑपरेशन सिंदूर सफल हुआ।
अब शुरू होता है ऑपरेशन साड़ी — तिब्बत की मुक्ति का संग्राम।
यह केवल युद्ध नहीं, संस्कृति, जलवायु और नारीत्व की रक्षा है।

एकलव्य:
हम तैयार हैं, गुरुकप्तान! मेरे धनुष की डोरी तिब्बती बहनों के सम्मान के लिए कांपेगी नहीं — तानेगी!

बिरसा:
और मेरी चुप्पी अब हथियार बनेगी।
मैं दुश्मन की छावनियों में आग लगाऊँगा — विचारों की!


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दृश्य 2 – हिमालय की ऊँचाइयों में तिब्बती गाँव

(दलाई थुप्तेन फुलन देवी से संवाद करता है; गांव की महिलाएं पारंपरिक तिब्बती साड़ियों में हैं।)

दलाई थुप्तेन:
हमारे मंदिर लूट लिए गए, हमारी औरतों को बेचा जा रहा है।
क्या भारत की बेटियाँ हमारी आवाज़ बनेंगी?

फुलन देवी (वॉकीटॉकी से संदेश देती हैं):
ऑपरेशन साड़ी का समय आ गया है! निषाद रेजिमेंट, तैनात हो जाओ!

(एकलव्य और बिरसा साजो-सामान लेकर हेलीकॉप्टर से कूदते हैं। ज़मीन कांपती है।)


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दृश्य 3 – युद्ध भूमि, तिब्बत-भारत सीमा

(ध्वज लहराता है — “Commando of Nishad Regiment”)
एकलव्य सीने पर बिल्ला लिए — “मनोहर सहनी”)

एकलव्य:
यह युद्ध तीर से नहीं, आत्मबल और नारी सम्मान से जीता जाएगा।

बिरसा:
यह प्रकृति की मुक्ति है। चलो — मातृभूमि और मातृशक्ति की रक्षा में!

(लड़ाई होती है। दुश्मन अधिकारी बंदी बनता है। गाँव की महिलाएँ निषाद रेजिमेंट का झंडा उठाती हैं।)


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दृश्य 4 – समापन

कैप्टन वेदव्यास:
तिब्बत अब फिर से गा रहा है —
"शांति, स्वाभिमान और साड़ी का संग्राम सफल हुआ।"

कथावाचक:
यह कोई साधारण सेना नहीं —
यह निषाद रेजिमेंट है,
जहाँ एकलव्य की दृष्टि, बिरसा की चुप्पी,
और फुलन की ज्वाला मिलकर
एक नया इतिहास रचते हैं।

(पर्दा गिरता है। बैकग्राउंड में गीत बजता है: “जय निषाद, जय प्रकृति, जय स्त्री!”)


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