"संघर्ष से समरसता तक: निषाद रेजिमेंट की कथा"





निबंध: निषाद रेजिमेंट – भारत और अफगानिस्तान की साझी विरासत का प्रहरी

भारत और अफगानिस्तान – दो ऐसे देश हैं जिनकी साझी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत सदियों पुरानी है। इन दोनों देशों ने युद्धों, संघर्षों, व्यापारों और विचारों के आदान-प्रदान के माध्यम से एक-दूसरे को गहराई से प्रभावित किया है। इसी साझा भावभूमि को एक नई दिशा देने के लिए आज "निषाद रेजिमेंट" का गठन एक आदर्श प्रतीक के रूप में उभर रहा है।

चित्र में एक वीर सैनिक दिखता है – छाती पर बंदूक, दृढ़ संकल्प से भरी आँखें, और दोनों हाथों में लहराते भारत और अफगानिस्तान के झंडे। यह दृश्य केवल सैन्य शक्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि आपसी विश्वास, साझी सुरक्षा और भाईचारे की भावना का उद्घोष है। “निषाद रेजिमेंट” का यह योद्धा सीमा रेखाओं को नहीं, दिलों को जोड़ने का संदेश देता है।

निषाद रेजिमेंट न केवल एक सैन्य दल है, बल्कि एक विचार है – शांति, सहयोग और समानता का विचार। यह रेजिमेंट उन लोगों की आवाज़ है जो युद्ध नहीं, दोस्ती चाहते हैं; जो हथियारों से नहीं, संस्कृतियों के मेल से स्थायित्व लाना चाहते हैं। भारत की प्राचीन परंपराएँ और अफगानिस्तान की बहादुरी जब एक साथ खड़ी होती हैं, तो वह दृश्य एक नये युग की शुरुआत का संकेत देता है।

भविष्य में यह रेजिमेंट दोनों देशों के बीच एक स्थायी सेतु बनेगी – शिक्षा, व्यापार, संस्कृति और रक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देगी। यह रेजिमेंट हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा बनेगी जो भूतकाल की दुश्वारियों से आगे बढ़कर एक शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण विश्व की कल्पना करता है।

निष्कर्षतः, निषाद रेजिमेंट केवल एक संगठन नहीं, एक मिशन है – ऐसा मिशन जो भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा, और आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाएगा कि असली वीरता केवल लड़ने में नहीं, बल्कि जोड़ने में होती है।

जय निषाद रेजिमेंट। जय भारत–अफगान मित्रता।


Popular posts from this blog

"अलगाववाद: आत्मकेंद्रिकता और समाज पर उसका कुप्रभाव"

राजसिक श्रेणी कि अठावन महान क्रान्तिकन्याओ कि विनियोग एवं आह्वान मन्त्रों के साथ साथ स्तोत्र भी

इर्द गिर्द घूमती है जिन्नात