"माटी की कहानियाँ: रूथ ट्रिंगम का पुरातत्व और नारीवाद"
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नाम: रूथ ट्रिंगम
जन्म: 14 अक्टूबर 1940, एस्पले गुइज़, बेडफोर्डशायर, इंग्लैंड
राष्ट्रीयता: ब्रिटिश-अमेरिकी
अनुशासन: मानवविज्ञान, पुरातत्व
विशेषज्ञता: नवपाषाण युग (Neolithic) – यूरोप और दक्षिण-पश्चिम एशिया
संस्थाएं:
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले (मानव विज्ञान विभाग)
सेंटर फ़ॉर डिजिटल आर्कियोलॉजी (CoDA) – अध्यक्ष एवं क्रिएटिव डायरेक्टर
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शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
रूथ ट्रिंगम का पालन-पोषण इंग्लैंड में हुआ। उन्होंने गर्ल्स पब्लिक डे स्कूल ट्रस्ट से शिक्षा पाई और लैटिन-ग्रीक पढ़ा। बचपन से ही लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम में शोधात्मक गतिविधियों में सक्रिय रहीं। 13 वर्ष की उम्र में पहली खुदाई में भाग लिया और 16 वर्ष की उम्र तक तय कर लिया कि वे पुरातत्वविद् बनेंगी।
उन्होंने एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से पुरातत्व में स्नातक और पीएचडी की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
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करियर और प्रमुख कार्य
ट्रिंगम ने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाया, फिर बर्कले चली गईं।
उन्हें मुख्य रूप से निम्नलिखित खुदाई परियोजनाओं के लिए जाना जाता है:
सेलेवैक (1976–79), ओपोवो (1983–89) – सर्बिया
पोडगोरित्सा (1995) – बुल्गारिया
कैटलहॉयुक (1997–वर्तमान) – तुर्की
बर्कले की टीम (BACH) के अंतर्गत वे कैटलहॉयुक में एक फील्ड डायरेक्टर रहीं।
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वैचारिक योगदान और नारीवादी दृष्टिकोण
ट्रिंगम ने पुरातात्विक शोध में लैंगिक दृष्टिकोण को स्थान दिया।
उन्होंने पारंपरिक "पुरुष-केंद्रित" व्याख्याओं को चुनौती दी और घर एवं घरेलू संरचनाओं को पुरातत्व के मुख्य केंद्र में लाने का प्रयास किया।
उन्होंने इस विचार को प्रोत्साहन दिया कि अतीत की सामाजिक संरचना को समझने के लिए वैज्ञानिक विधियों के साथ-साथ सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांतों की भी आवश्यकता है।
उन्होंने "देवी आंदोलन" की आलोचना की, जो प्रागैतिहासिक समाजों को पूर्णतः मातृसत्तात्मक मानता है।
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संगीत और शौक
बचपन में वायलिन, कॉलेज में गिटार और लोकगीत गायन
बाद में बोस्टन और सैन फ्रांसिस्को सिम्फनी कोरस से जुड़ीं
वॉलीबॉल, स्कीइंग, तलवारबाजी जैसी गतिविधियों में रुचि
1972 में ग्रेट ब्रिटेन की महिला ओलंपिक वॉलीबॉल टीम की सदस्य भी रहीं
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