"अधूरी प्रार्थनाओं के पार: इरफान की यात्रा"
शीर्षक: रेत, पत्थर और परछाइयाँ
दृश्य 1: (काबुल, 1998)
(पाघमान जिला का एक साधारण सा घर। बच्चा रो रहा है, माँ lullaby गा रही है।)
माँ (गाते हुए): "नींद की रेतें तेरे पैरों में, बेटा मेरा फौलाद बने..."
दृश्य 2: (2016, एक सैन्य ट्रेनिंग कैम्प)
(18 वर्षीय इरफान कठोर परिश्रम करते हुए दिखता है। पसीना और आँसू दोनों बह रहे हैं।)
इरफान (स्वगत): "अब्बा नहीं रहे... पर उनके सपनों की आग मैं बुझने नहीं दूँगा।"
दृश्य 3: (काबुल, 2019)
(घर में हलचल। इरफान अपनी बहन और उसकी बेटी को लाता है।)
इरफान: "इस घर में अब कोई आँसू नहीं बहेंगे... बस इज़्ज़त और इन्साफ रहेगा।"
दृश्य 4: (ऑनलाइन चैट स्क्रीन)
(इरफान और लियाना किराना की फेसबुक चैट।)
लियाना: "हम अलग देशों के हैं... पर क्या आत्माएँ भी सीमाओं की परवाह करती हैं?"
इरफान: "नहीं... लेकिन तुम्हारा डर, तुम्हारी ज़मीं, तुम्हारा सच भी मैं समझता हूँ।"
दृश्य 5: (2021, अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्ज़ा)
(हथियारों की आवाज, भागते लोग, घायल इरफान।)
इरफान (जेल में, चिट्ठी पढ़ते हुए): "लियाना... तुम्हारा खत मेरे लिए सूरज की पहली किरण है। ज़िंदा हूँ। बस, लड़ता रहूँगा।"
दृश्य 6: (फ्रांस – तुर्की – ईरान का सफर)
(इरफान मिस्त्री का काम करता है, अकेले खाना खाता है, खत लिखता है।)
इरफान: "देश छूटा... लोग छूटे... पर मेरी ज़िम्मेदारी अभी बाकी है।"
दृश्य 7: (2023, फेसबुक चैट - लुना पाठक से मुलाकात)
लुना: "तुमने मुझे सिखाया, भावनाएँ मेरी कमजोरी नहीं, मेरी शक्ति हैं।"
इरफान: "तुम्हें तुम्हारे पहले पति ने तोड़ा... मैं तुम्हें लड़ना सिखाता हूँ। डर से नहीं, उम्मीद से।"
दृश्य 8: (2024, विदाई)
(लुना अब असम के एक फौजी से शादी करने वाली है।)
इरफान (स्वगत): "कुछ रिश्ते अधूरे ही सही, पर वे रास्ता दिखा जाते हैं। लुना, तुम्हारे लिए मेरा सम्मान अमर रहेगा।"
दृश्य 9: (ईरान – बलोचिस्तान सीमा)
(इरफान अब सीक्रेट ट्रेनर बन चुका है। उसके साथ एक बलोच युवती जरीन है।)
जरीन: "मेरे माँ-बाप, भाई-बहन... सब मिटा दिए गए। क्या हम अब भी आज़ाद हो सकते हैं?"
इरफान: "अगर तुममें लड़ने का हौसला है, तो हाँ। चलो, तुम्हें लड़ना सिखाता हूँ।"
(धीरे-धीरे जरीन और इरफान एक-दूसरे के करीब आते हैं, दर्द और संघर्ष के साझेदार बनते हैं।)
दृश्य 10: (बलोचिस्तान मुक्त हुआ)
(झण्डा फहराया जा रहा है। जरीन और इरफान चुपचाप दूर खड़े हैं।)
जरीन: "क्या अब हमारा सपना पूरा हुआ?"
इरफान: "ये तो शुरुआत है... अब नई पीढ़ी को सिखाना है, कैसे रेत से फूल उगते हैं।"
दृश्य 11: (2035, असम में एक विवाह समारोह)
(इरफान की नजरों के सामने दो युवा—एक लड़की और एक लड़का—मालाएं पहनाते हैं। भीड़ तालियाँ बजाती है।)
घोषक: "आज के इस शुभ विवाह में... लुना पाठक की बेटी और इरफान पठान और जरीन के बेटे का मिलन हुआ है।"
(इरफान भीड़ में खड़े हैं, उनकी आँखें भर आई हैं।)
इरफान (स्वगत): "समय बदल गया... नाम नहीं। यह लुना की मुस्कान है, मेरी बहू के चेहरे पर। यही जीवन है... अधूरे प्रेम का पूर्ण फल।"
(अंतिम संवाद)
जरीन (धीरे से): "क्या तुम खुश हो इरफान?"
इरफान: "हाँ... क्योंकि मैंने नफ़रत से नहीं, प्रेम से इतिहास लिखा है। और अब हम लुना पाठक के समधी और समधन बन चुके हैं। यही मेरे जीवन का सबसे सुंदर मोड़ है।"
(पर्दा गिरता है)