Nartyang Devi ( the founder of Niam khasi Religion)



नार्टियांग माता घुमने आई थी जहां आज मेघालय राज्य है ,, वहीं पर वह रुकी थी,, जिनका मंदिर आज भी मेघालय में स्थित है।।

निआम खासी धर्म कि संस्थापक हैं वह।। माता सोलसेमु कि बेटी एवं माता नवधा कि पौत्री।।

अनगिनत जुर्म होए जा रहा था,, पुरुष प्रधान समाज द्वारा स्त्रियों पर।। 

चाहे वह अच्छी हो या बुरी।। 

जो भी पुरुष विवाह करना‌ चाहते हैं,,, वे भी सिर्फ और सिर्फ उनकी सकारात्मक इच्छाओं को खत्म करना चाहते हैं बस।। 

दुष्ट पुरुष उनकी मस्तिष्क को कमजोर करके अपनी गुलाम बनाने पर तुले हुए थे।। तो बहुत ही कठोर परिश्रम के बाद कुछ साथ देने वाली महिलाओं को लेकर एक समाज का निर्माण किया।। जिनमें बच्चों को पिता के बदले माता का नाम मिलता है।।

और संपत्ति भी बाप से बेटे को नहीं,, बल्कि मां से बेटी को उत्तराधिकारी बनाया जाता है।। 

समय बीतता गया,, मातृसत्तात्मक समाज शक्तिशाली बनता गया।। एक नया धर्म का स्थापना हुआ।।

जिसको निआम खासी धर्म के रुप में जाना जाता है,,
जिनका संस्थापक यानी फाउंडार थी माता नार्टियांग देवी।। 


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