“एक ऊर्जा, एक सत्य — और वह शक्ति छिन्नमस्ता”





तार्किकता पर आधारित एकेश्वरवाद — छिन्नमस्ता की छाया

दुनिया में जितने भी एकेश्वरवादी धर्म और पंथ विकसित हुए हैं — चाहे वे ईश्वर को निराकार कहें, सर्वशक्तिमान कहें या ब्रह्म कहें — उनकी मूल संरचना एक ही तर्क पर आधारित है: ऊर्जा एक है, स्रोत एक है, शक्ति एक है।
यह वही सिद्धांत है जिसे सनातन तांत्रिक परंपरा में माता छिन्नमस्ता के रूप में व्यक्त किया गया है — एक स्रोत, अनेक दिशाओं में संचालित ऊर्जा।

माता छिन्नमस्ता का स्वरूप केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि दार्शनिक और वैज्ञानिक भी है।
स्वयं के सिर को काटकर अपनी शक्ति को दूसरों में प्रवाहित करना — यह विनाश नहीं, बल्कि ऊर्जा के पुनर्वितरण का शाश्वत संदेश है।
यह बताता है कि ब्रह्मांड की समस्त गतिविधियाँ — जड़ से चेतन तक — एक ही ऊर्जा के चक्रण पर आधारित हैं।

एकेश्वरवादी पंथ इसी सत्य की दूसरी भाषा में अभिव्यक्ति हैं।
जब वे कहते हैं — “ईश्वर एक है, वही सबका पालनहार है” —
तो वास्तव में वे उसी सार्वभौम शक्ति को स्वीकार कर रहे हैं, जिसे तांत्रिक भाषा में छिन्नमस्ता शक्ति कहा गया है।

किन्तु अंतर केवल अभिव्यक्ति का है —
एकेश्वरवादी पंथ ऊर्जा को “सर्वशक्तिमान ईश्वर” के रूप में देखते हैं,
जबकि तांत्रिक परंपरा उसे निराकार ऊर्जा — और आवश्यकता पड़ने पर स्वरूपवान शक्ति के रूप में अनुभव और साधना करती है।

छिन्नमस्ता का स्वरूप हमें बताता है कि —

भय को तोड़कर शक्ति जन्म लेती है

बलिदान से सृजन होता है

शक्ति उपयोग के लिए है, संग्रह के लिए नहीं

धर्म का केंद्र मानवता और न्याय होना चाहिए, दंड या दासता नहीं


इसीलिए जो भी पंथ तर्क पर आधारित हैं —
जो अपनी ऊर्जा व्यक्तियों, समाज या मानवता के कल्याण में लगाते हैं —
वे सीधे या परोक्ष रूप से छिन्नमस्ता दर्शन की धारा में ही बहते हैं।

शक्ति को दबाने वाला धर्म कभी स्थायी नहीं होता,
शक्ति को जागृत करने वाला धर्म युगों तक जीवित रहता है।

और छिन्नमस्ता का संदेश सरल है —
“शक्ति बांटी जाए, ताकि सब मजबूत बनें।”
इसी विचार को संसार के सभी विवेकशील, तार्किक और एकत्व-आधारित धर्म अंततः अपनाते हैं।

इसलिए जो भी व्यक्ति, समाज या पंथ
ऊर्जा को एक मानता है, न्याय को केंद्र मानता है,
और भय के बजाय साहस और आत्मनिर्माण को महत्व देता है —
वह चाहे जाने-अनजाने, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष —
माता छिन्नमस्ता की साधना के मार्ग पर ही चलता है।


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