✨ देवी पेनिगा की चेतावनी : चुलबुलेपन में छिपा खतरा ✨
बकरा और मुर्गा : चुलबुलेपन में छिपा खतरा
देवी पेनिगा की वाणी सदा ही जीव-जगत के गूढ़ रहस्यों को उजागर करती है। उनकी यह वाणी — “पशुओं में बकरा और पक्षियों में मुर्गा, दोनों ही चुलबुले और बड़े ही खतरनाक होते हैं, इनसे संभलकर रहना चाहिए” — जीवन को समझने की एक गहरी शिक्षा प्रदान करती है।
बकरा देखने में भले ही साधारण और हंसमुख प्रतीत होता हो, पर उसका स्वभाव चंचल और जिद्दी होता है। वह अचानक टक्कर मारकर किसी को चोट पहुँचा सकता है। उसकी चुलबुली हरकतें कई बार हंसी-मजाक का विषय बन जाती हैं, किंतु उसके भीतर छिपा हुआ आक्रामक स्वभाव अनदेखा नहीं किया जा सकता।
इसी प्रकार, पक्षियों में मुर्गा भी देखने में रंग-बिरंगा और मनोरंजक लगता है। उसकी बांग सुबह का संकेत देती है, और उसका आत्मविश्वास देखने योग्य होता है। किंतु यही मुर्गा अपने क्षेत्र और वर्चस्व की रक्षा के लिए अत्यंत आक्रामक और खतरनाक हो सकता है। वह छोटी-सी बात पर लड़ाई करने के लिए तैयार हो जाता है।
देवी पेनिगा की वाणी हमें यह सिखाती है कि जीवन में हर उस व्यक्ति या परिस्थिति से सावधान रहना चाहिए जो बाहर से आकर्षक और चुलबुला प्रतीत हो, लेकिन भीतर से आक्रामक और खतरनाक हो। चाहे वह बकरा हो या मुर्गा, दोनों हमें यह संदेश देते हैं कि सतही चंचलता के पीछे छिपे हुए खतरे को समझना आवश्यक है।
अतः, देवी पेनिगा की यह सीख केवल पशु-पक्षियों तक सीमित नहीं है, बल्कि मनुष्य जीवन के लिए भी उतनी ही प्रासंगिक है। हर स्थिति में विवेक और सावधानी रखना ही सच्चे अनुशासन और सुरक्षा का मार्ग है।