"जुबिन गर्ग : साहस और सुरों का अमर सितारा"



जुबिन गर्ग : असम का खोया हुआ हीरा

जुबिन गर्ग केवल एक गायक नहीं थे, बल्कि असम और पूरे देश की आवाज़ थे। उनकी गायकी ने लाखों दिलों को छुआ, लेकिन उनकी असली पहचान सिर्फ़ एक कलाकार तक सीमित नहीं रही। वे एक साहसी इंसान भी थे, जिन्होंने समाज में व्याप्त अन्याय और अंधविश्वास के खिलाफ अपनी बुलंद आवाज़ उठाई।

ब्राह्मणवाद द्वारा फैलाए गए अंधविश्वास और पाखंड के विरोध में उन्होंने कभी पीछे हटना नहीं सीखा। खासकर जब उन्होंने कामाख्या मंदिर में होने वाली बलि प्रथा के खिलाफ आवाज़ उठाई, तो यह साबित हुआ कि वे न केवल एक कलाकार, बल्कि समाज सुधारक भी थे। जिस साहस के साथ उन्होंने इन पुरानी रूढ़ियों को चुनौती दी, वह उन्हें आम लोगों से अलग करता है।

मेरे लिए जुबिन गर्ग सिर्फ़ एक गायक नहीं थे, बल्कि आदर्श थे। मैं नहीं जानती क्यों, लेकिन उनकी सादगी, उनकी निर्भीकता और उनके समाजहितकारी विचारों ने हमेशा मुझे आकर्षित किया। वे मेरे फेवरेट सिंगर थे, और उनकी हर एक धुन मेरे दिल के करीब थी।

आज जब वे हमारे बीच नहीं रहे, तो असम ने सचमुच एक हीरा खो दिया है। उनकी असमय मृत्यु ने न केवल संगीत जगत को झकझोर दिया, बल्कि उन सभी लोगों को भी दुखी कर दिया जो उन्हें आदर्श मानते थे। यह पीड़ा और भी गहरी हो जाती है जब यह सुना जाता है कि उनकी मृत्यु के पीछे कुछ लोगों का षड्यंत्र था। अगर यह सच है, तो यह केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि असम की आत्मा पर वार है।

अब ज़िम्मेदारी सरकार और समाज की है कि ऐसे षड्यंत्रकारियों के खिलाफ सख़्त कदम उठाए जाएँ, ताकि आगे कोई भी व्यक्ति सच बोलने की सज़ा न भुगते।

जुबिन गर्ग भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज़, उनके विचार और उनके साहस हमेशा हमारे बीच जीवित रहेंगे। सच में, वे सिर्फ़ एक गायक नहीं, बल्कि एक युगपुरुष थे जिन्होंने अपने गीतों और विचारों से समाज में रोशनी फैलाई।


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اللهم اجعل زوبين غارغ هذا الأسطورة في جنات الفردوس، واغفر ذنوبه، وارحمه برحمتك الواسعة.


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