अनुष्तेगिन घर्चाई: गुलामी से सुल्तानी तक का अद्भुत सफर
अनुष्तेगिन घर्चाई: गुलाम से ख्वारिज्मशाह का सुल्तानी सफर
अनुष्तेगिन घर्चाई (1077–1097) एक अद्वितीय शख़्सियत थे, जिनका स्वर्णिम सफर गुलामी से शुरू होकर ख्वारिज्म प्रांत के गवर्नर बनने तक पहुँचा। वे मूलतः तुर्किक गुलाम थे, जिन्हें घारचिस्तान से सल्ज़ुक़ सुल्तानों के दरबार में लाया गया।
कवि नाम अनुष्तेगिन का अर्थ है “अमर प्रिंस”—‘अनुश’ (अमर) और ‘तेगिन’ (राजकुमार) — जो उनकी अद्वितीय पहचान को दर्शाता है।
उनकी शूरवीरी तब उजागर हुई जब सल्ज़ुक़ सुल्तान मलिक-शाह I द्वारा भेजे गए अभियान में उन्होंने खुरासान के उस क्षेत्र को जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो तब ग़ज़नवी शासक की पकड़ में था।
1077 में उन्हें ख्वारिज्म की गवर्नरशिप से नवाज़ा गया, साथ ही वे इस प्रांत के ‘ख़्वारिज्मशाह’ (Shihna) के पद पर आसीन हुए। इस नियुक्ति ने उनके परिवार के लिए एक राजवंश की नींव रखी।
1097 में उनका देहांत हुआ, लेकिन उनकी विरासत जीवित थी—उनके पुत्र मुहम्मद I ने ख़्वारिज्मशाह की पदवी विरासत में प्राप्त की, और उन्होंने अंततः प्रांत को एक शक्तिशाली और स्वतंत्र साम्राज्य में बदल दिया, जो मध्य एशिया और फारस तक फैल गया।
अनुष्तेगिन का जीवन हमें यह सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों और गुलामी से भी व्यक्ति अपनी निष्ठा, साहस और योग्यता से एक महान राजवंश की नींव रख सकता है।