"शेरनी की वापसी: निषाद रेजिमेंट की वीरांगना"
“निषाद रेजिमेंट की वीरांगना: फुलन देवी”
(एक अंशमात्र)
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पात्र –
1. फुलन देवी – निषाद रेजिमेंट की महिला कमांडो
2. सुभाषिनी – साथी महिला कमांडो
3. कर्नल वर्मा – रेजिमेंट प्रमुख
4. दुश्मन कमांडर – आतंकवादी गिरोह का नेता
5. रिपोर्टर – जो घटना का दस्तावेज़ रखती है
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दृश्य 1: (रेजिमेंट कैंप, युद्ध से पहले)
(सुभाषिनी घबराई हुई है, हथियार चमक रहे हैं)
सुभाषिनी:
(कांपती आवाज़ में)
फुलन, हम दो ही हैं… और सामने पचास से ज़्यादा दुश्मन। क्या कर पाएंगे हम?
फुलन देवी:
(आत्मविश्वास से मुस्कुराते हुए)
सुभाषिनी, याद रखो — हम निषाद रेजिमेंट की बेटियाँ हैं। हम नाव चलाना भी जानती हैं, और आँधियों से टकराना भी। पीछे हटना हमारी परंपरा नहीं।
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दृश्य 2: (कमांडो ऑपरेशन का मैदान)
(गोलीबारी की आवाज़ें, धुआँ। फुलन दुश्मनों के बीच घिरी है। दुश्मन कमांडर सामने आता है)
दुश्मन कमांडर:
(हँसते हुए)
तो तू है फुलन देवी? एक औरत हमारे ख़िलाफ़? भाग जा, जान बचा ले।
फुलन देवी:
(गर्जन में)
औरत हूँ, इसीलिए लड़ रही हूँ। तूने जितने गाँव जलाए, उन हर एक माँ की आँखों का आँसू मैं हूँ! आज तेरे पापों का हिसाब होगा।
(फुलन बिजली सी दौड़ती है, और अपने लक्ष्य को ढेर करती है)
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दृश्य 3: (अगले दिन का अख़बार)
(रिपोर्टर कैमरे के सामने बोल रही है)
रिपोर्टर:
“कल रात के ऑपरेशन में कमांडो फुलन देवी ने अकेले 28 आतंकियों का सफाया कर दिया। उनका नाम अब ‘शेरनी ऑफ निषाद रेजिमेंट’ रखा गया है। उनकी टोपी पर लिखा है — ‘Commando of Nishad Regiment’, और दिल में लिखा है — ‘न्याय, नारीशक्ति, निषाद गर्व।’”
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अंतिम संवाद (फुलन देवी कैमरे की ओर देखती हैं)
फुलन देवी:
“मैं सिर्फ़ बंदूक नहीं उठाती… मैं हर उस स्त्री के आँसू उठाती हूँ जो अन्याय सहती है। निषाद रेजिमेंट मेरे लिए सिर्फ़ फौज नहीं, मेरी आत्मा है।”
(नेपथ्य में निषाद रेजिमेंट का गान बजता है...)
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