"अस्मिता की अग्निशिखा: एक गांव से जन्मा नया राष्ट्र"
शीर्षक: “एक गांव से उठती क्रांति: नार्थ ईस्ट इंडिया का नया राष्ट्र”
(एक नाटकीय गाथा)
दृश्य 1: गांव का उगता सूरज और सरपंच का संकल्प
(मंच पर हल्की पीली रोशनी। एक साधारण सा असमिया गांव। तालाब, बांस की झोपड़ी और एक मंच के बीचों-बीच पीपल का पेड़। सरपंच मधुरंजन पाठक जी सफेद धोती और गमछा में मंच पर आते हैं। पीछे धीमा असमिया वाद्य संगीत।)
मधुरंजन पाठक (जोशीले स्वर में):
"हमारे पूर्वजों ने यह भूमि खून-पसीने से सींची है।
अब समय है...
हमारे बच्चे इसे सम्मान, संस्कृति और स्वराज्य से महका दें!"
दृश्य 2: बेटों का संघर्ष, न्याय और बलिदान
(गौरव पाठक कोर्टरूम में – वकील के रूप में। एक बूढ़ी स्त्री का केस लड़ते हैं।)
गौरव पाठक:
"गरीब का अधिकार, संविधान से भी ऊपर है,
मैं अपने समाज के लिए लड़ूंगा — और जीतूंगा।"
(मोहन पाठक पुलिस की वर्दी में। जंगल के भीतर आतंकी से लड़ते हुए:)
मोहन पाठक:
"मां के दूध और धरती की सौगंध —
मैं नार्थ ईस्ट की रक्षा अंतिम सांस तक करूंगा!"
दृश्य 3: अगली पीढ़ी का व्यवसाय नहीं, आंदोलन
(धृतिस्मान और परम पाठक – असमिया पोशाक में – पारंपरिक होटल खोलते हुए। मंच पर "Assamese Traditional House Café" का बोर्ड टंगा है।)
धृतिस्मान:
"यह सिर्फ होटल नहीं,
यह संस्कृति का किला है।
यहां चाय से लेकर झोल-भात तक,
हर निवाला अस्मिता का गीत होगा।"
परम:
"यहां काम वही करेगा
जिसके रगों में ब्रह्मपुत्र की लहरें बहती हैं।
बाकी आएं, स्वाद लें,
पर आत्मा यहीं की होगी।"
(दृश्य बदलता है — दुकानों की कतारें — शुद्ध नार्थ ईस्ट वस्त्रों की दुकानें, नियम सख्त — कर्मचारी केवल उत्तरपूर्व के।)
दृश्य 4: बाजार के भीतर योद्धा
(मंच पर युवक-युवतियाँ, शांत दुकानदार दिखते हैं… लेकिन अचानक अंधेरा, युद्ध के ढोल, और वे सब छाया योद्धाओं की तरह तैयार होकर एक सुर में कहते हैं…)
सभी:
"हम व्यापारी नहीं…
हम वह चिंगारी हैं —
जो अपनी जमीन, अपनी संस्कृति, और अपने हक के लिए
हर मोर्चे पर तैयार हैं।"
दृश्य 5: तीस वर्षों के बाद का ऐलान
(एक विशाल पर्दे पर विश्व के झंडे दिखते हैं, मंच के बीचों-बीच नॉर्थ ईस्ट इंडिया का झंडा फहराया जाता है।)
घोषणा (ध्वनि में):
"तीस वर्षों के संघर्ष के बाद,
आज दिनांक — नॉर्थ ईस्ट इंडिया
एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया जाता है।
अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चाईना, इंडोनेशिया…
सभी इस नए राष्ट्र का अभिनंदन करते हैं।"
दृश्य 6: अंतिम शपथ
(पूरा मंच रोशनी से भर जाता है। मधुरंजन पाठक के पौत्र, हजारों युवाओं के साथ मंच पर आते हैं।)
धृतिस्मान और परम (एक साथ):
"हमारी लड़ाई किसी के खिलाफ नहीं थी —
बल्कि अपनी अस्मिता के पक्ष में थी।
हमने कलम से लड़ा, संस्कृति से बांधा,
और आज… एक नया राष्ट्र जन्मा है।"
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(पर्दा गिरता है… और पीछे से स्वर गूंजता है):
"जय त्रिधारा धर्म। जय माता त्रिकुला। जय नॉर्थ ईस्ट इंडिया!"
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